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Santosh kumar koli ' अकेला'

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My Articles

कोई नहीं सुनता, दुनिया में व्यथा डोर की। सब अपनी- अपनी बेचते, कौन बेचता कमज़ोर की। पतंग परवान चढ़, मेरे बल नाचती। मेरे छोर से और बनती, दु read more >>
उल्टी दिशा, उल्टी बयार। हे दुनिया, तेरे रंग हज़ार। आतंकवादी, शांति का पाठ पढ़ाते हैं। रिश्वतख़ोरी खून में, ईमानदारी सिखाते हैं। गद्द read more >>
कुछ भी महत्त्व नहीं है। १ बिना तीर कमान का, बिना गुण इंसान का। बिना मौत जान का, बिना भक्त भगवान् का। बिना तृप्ति तर्पण का, बिना मूरत के read more >>
कच्ची मिट्टी, कच्ची चुनाई, घर थे कच्चे। जुड़ाव था मिट्टी से, रिश्ते थे सच्चे। रिश्तों को निभाते नहीं, जीते थे। रिश्ते- रिस, प्यार प्रां read more >>
मन तो मन है, कैसे इसे टोकूं मैं ? रो रहा है हर समां, प्रिय कैसे आंसू रोकूं मैं ? आना था, मुन्ने के नामकरण जश्न में। पहले ही आ गए, लिपट तिरंग read more >>
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