अपनी वर्षों की दबी हुई तमन्ना को फिर से मैने अंगड़ाई लेते देखा, जब साहित्य लाइव के बारे में मैने सुना। जी हां, बिल्कुल सही बात है आज के समय में जब इतना कंपटीशन बढ़ गया है कोई अपनी प्रतिभा को आगे लाने के लिए भी डरता है, वही साहित्य लाइव ने हम कवियों लेखकों को हमारी कलम एक बार फिर से उठाने के लिए मजबूर कर दिया है और मैं बहुत बहुत खुश हूं कि मैं जो भी लिखती हूं वो कही इंटरनेट पर जा रहा है मेरी कविताएं,मेरे लेख एक ऐसे प्लेटफार्म पर जा रहे हैं जहा उन्हें अपना एक मुकाम मिलेगा। दिशा लाइव ग्रुप का अंतरह्रिदय से बहुत बहुत आभार।।🙏🙏