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जग कितना सुंदर होता

अशोक दीप 25 Jun 2024 गीत समाजिक Best hindi poetry, hindi poems, hindi kavita, samajik kavita, hindi song, shero sayari 3793 0 Hindi :: हिंदी

तो जग कितना सुंदर होता

मेरी   जमीं न   मेरी  होती
और न  तेरा  अम्बर  होता ।
जो कुछ होता अपना होता
तो जग कितना सुंदर होता ।।

मेरे  मन  के  सपने   पलते
तेरे  दृग  के  जलजातों  में
तेरे  ख्वाब   सजातीं   मेरी
पलकें जग-जगकर रातों में

अमृत ज्यों  होंठों पर तेरे
बसते   मेरे   गीत  सुरीले
मिलते नित अधरों पर मेरे
तेरे  उर  के   छंद   रसीले

मेरे  दिल  के आसमान में
तेरे  मन  का  चन्दर  होता ।
जो कुछ होता अपना होता
तो जग कितना सुंदर होता ।।

चोट कहीं जो लगती तुझको
दर्द   उभरता   मेरे   उर   में
पा जाते जो खुशी कहीं तुम
खिलते लाखों  फूल नजर में

झुकते  कंधे  जहाँ  भार से
मिलता वहीं सहारा मुझको
खोती नाव  जहाँ पर धीरज
पाता  वहीं किनारा  तुझको

प्यास जहाँ तड़पाती मुझको
विकल वहीं तव अन्तर होता ।
जो कुछ  होता  अपना होता
तो जग  कितना सुंदर  होता ।।

मस्जिद की चौखट पर सजते
दीप   हजारों   दीवाली   के
मंदिर  में  आ  रात जगाते
कव्वाल  पाक  कव्वाली  के

आरती संग धुन आयत की
मुखरित  होती  देवघरों  से
गिरिजाघर  में पुण्य घोलती
गीता  फादर  के  अधरों से

रामचरितमानस का गायन
बौद्धमठों  के अन्दर  होता ।
जो कुछ होता अपना होता
तो जग कितना सुंदर होता ।।

अशोक दीप
जयपुर

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