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मंजरी एक प्रभात

Ajeet 27 Jun 2024 कविताएँ अन्य मंजरी एक प्रभात 5269 0 Hindi :: हिंदी

जब तक सागर के आंचल में 
पानी का हो भार 
खुशियां डूबे ना दरिया पार,

ईश्वर में कहूं क्या ऐसी बात 
मंजरी - एक प्रभात।।

आशाओं से भरा अदभुत जीवन भी 
विघ्नों को गले लगाता है 
मानो जैसे लूट लिया हो 
माली ने उपवन को,

ये निज गौरव का चांद बताता है 
जन्मदिन मुबारक हो आपको 
जुन्हा की रात,

ईश्वर में कहूं क्या ऐसी बात 
मंजरी - एक प्रभात।।

हंसे उम्र भर ऐसे 
जैसे बागों में फूल हंसते हैं 
मिले यश इनको ऐसा 
जिसको देवता तरसते हो,
मुबारक हो इनको जन्मदिन 
जैसे चंद्रब्रभा की रात,

ईश्वर में कहूं क्या ऐसी बात 
मंजरी - एक प्रभात।।

                     रचनाकार – अजीत

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