अशोक दीप 07 Apr 2023 गीत प्यार-महोब्बत Poem, love song, prem geet, love poem, love sayari love kavita 7316 1 5 Hindi :: हिंदी
बाँटी सबने मौत दान में महलों में भी रहकर देखा झोंपों में भी बसकर देखा जख्म हज़ारों दिए सभी ने पर चुम्बन एक न दे पाया । जब भी महका साँस डाल पर वैभव वाला स्वर्ण- हजारा तितली को मैं भाया मधु-सा लगा भ्रमर को अमृत- धारा लगे सभी मँडराने तन पर होऊँ जैसे इक मधुशाला बैठा कोई गागर लेकर दौड़ा कोई लेकर प्याला राजभवन भी मुझ तक आया रूप- हवेली ने यश गाया प्यास परोसी सबने हँसकर पर सावन एक न दे पाया । बेजान नयन के आँसू से स्वप्न राधिका ब्याही मैँने मरु-सी वीरान कलाई को सुहाग चूड़ी पहनायी मैंने पीकर पीड़ा साँस-साँस की व्यथा कथा तक गायी मैंने गूंगी मूरत की जिह्वा पर चौपाई बैठाई मैंने पहुँचा हूँ घाटी के घर तक उतरा हूँ माटी के उर तक झपटी सबने हँसी होंठ की पर गुंजन एक न दे पाया । मधुबन के खिलते आँगन से किस्मत को कोरी खाक मिली सावन जैसे दानी से भी अँजुरी को देखो राख मिली किसे दिखता घाव रूह के हाथों में सबके खंज़र थे कहने को ही राघव थे वे पर सच में सब दसकंधर थे कोई घोंपा छुरी पीठ में कोई झोंका धूल दीठ में बाँटी सबने मौत दान में पर जीवन एक न दे पाया । ००० अशोक दीप जयपुर 82786971
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