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मेरा प्यारा बचपन

कवि सुनील नायक 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य बचपन पर कविता मेरा प्यारा बचपन 11282 0 Hindi :: हिंदी

बचपन तेरी बहुत याद आती है,
कागज की किश्ती पानी में तैरती,
पल भर में अमीर बन जाना पलभर में गरीब,
जात पांत किसने जानी सब थे मेरे करीब।

बचपन तेरी बहुत याद आती है,
कभी माटी की कुटिया तो कभी बुर्ज खलीफा बनती थी,
अांशु पलकों पर हंसी होठों पर रहती थी,
बचपन में स्वच्छंद खेलना ना केरियर की चिंता। 

 बचपन में जवानी का इंतजार था,
अब लाखों रुपए कमाते हैं,
लेकिन पिता के दिए हुए ₹5 आज बहुत याद आते हैं,
क्षण भर में झगड़ लेते क्षण भर में मिल जाते थे।

बचपन तेरी बहुत याद आती है,
वो साइकिल के पहिए बहुत याद आते हैं,
गिल्ली डंडा और कंचा खेलते थे,
जब जीत असली आनंद देती थी।

बचपन गया संग सारी खुशियां ले गया,
बदले में यह जाल जंजाल दे गया,
कभी भिखारी तो कभी अंबानी अडानी बन जाते थे,
बहुत खुशी मिलती जब कक्षा में हवाई जहाज उड़ाते थे।

सड़क पर चलती गाड़ियों को अपनी बना लेना,
कभी पिता की गोद में तो कभी मां के आंचल में सोना,
आज बचपन की परछाई मेरी आंखों के आगे आ गई,
बचपन के वियोग में आज मेरी आंखें भर आई।
                        - कवि सुनील कुमार नायक

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