Irfan haaris 30 Mar 2023 ग़ज़ल समाजिक दो वक्त की रोटी 87352 0 Hindi :: हिंदी
दो वक्त की रोटी से कुछ बढ़के नहीं देखा मुफलिसी ने चांद को जी भरके नहीं देखा ईमान है महंगा मेरा शायद कहीं बिक जाए लेकिन ये सौदा आज तक करके नहीं देखा सज्दे में मरने के वो कई फायदे बता रहा है जिसने कभी सज्दे में मरके नहीं देखा पा जाते ज़िन्दगी में ऊंचा मक़ाम हम भी पर उंचाई के लिए कभी मरके नहीं देखा