[email protected]
Join Us:
Home
Category
कहानियाँ
कविताएँ
ग़ज़ल
गीत
शायरी
आलेख
महत्वपूर्ण सूचनाएँ
Topic
धार्मिक
राजनितिक
प्यार-महोब्बत
हास्य-व्यंग
बाल-साहित्य
समाजिक
देश-प्रेम
दुःखद
साहित्य लाइव सूचनाएँ
अन्य
Videos
Others
Search Articles
Latest Updates
Popular Articles
Testimonials
Video Tutorials
Winner List
How to publish articles
My Account
Login
Register New Account
Forgot Password
Login
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका
साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस
साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें
Santosh kumar koli
Home
Author
Santosh kumar koli
Santosh kumar koli
Santosh kumar koli
@ santosh-kumar-koli
, Rajasthan
Followers:
1
Following:
2
Total Articles:
158
Follow
View Certificate
Share on:
My Articles
बेशर्म
कई- कई का, है बेशर्मी में सार। कर बेहयाई, समझे चतुराई, बनते डेढ़ होशियार। उसकी तो है उतरी हुई, औरों की झट ले उतार। एक नकटा, सौ पर भारी
read more >>
बदलना तो है
read more >>
मौसमी मेंढक
read more >>
हुतात्मा अर्द्धांगिनी
read more >>
चिड़ी की ज़िद
एक चिड़ी, ले तिनका उड़ी, जमा नीम की डाली। दूजा लेने, दूजी बार उड़ी, तानापाई, मन घर खुशहाली। फर- फर उड़ती, देखी आकर, तिनके तृण तृण, डाल खाली
read more >>
क़लम की तासीर
क़लम डाटती, फटकारती, कांपती है। तर्ज़न- गर्जन, मान मर्दन, हांफती है। भावों की दूरी, मजबूरी, शब्दों से मापती है। दुनिया का अक्षत अक्स, प
read more >>
आर्जव आरोप-कहां साधते हैं सीधे गुण को
कहां साधते हैं, सीधे गुण को। मानते हैं, मिश्रित गुण -अवगुण को। तड़फती मीन डालें तड़ाग, समझे वरुण को। ज़रा समझ ना आए, जरा तारुण को। मरह
read more >>
विचार विस्फोट-विक्षोभ विक्षत विक्षुब्ध संपीड़ित घुटन घुमड़
विक्षोभ, विक्षत, विक्षुब्ध, संपीड़ित घुटन, घुमड़ी, टकराती तड़ित्। चिंता सज्जित, तनाव जड़ित। ना पर, परा, स्वयं गढ़ित। स्फूरण, स्फूर्
read more >>
परिस्थिति का पलड़ा-मैं तू मजबूर सारी दुनिया
मैं, तू मजबूर, मजबूर सारी दुनिया। लिया -दिया हो जाता, दिया- लिया। दिग्गज के दिन दरकते, लुढ़कता हाशिया। समझ से परे, ईश्वर की ग़ज़ब गुनिय
read more >>
मतलबी मन-मन ही समझता मन के चोर को
उद्धेग, उद्दंड, उच्छृंखल, उचित -अनुचित। कब ऋजु, कब गरब गहेला, कब तीव्र उत्तेजित। कब दृढ़निश्चयी, कब दिग् भ्रमित। कब रिस, कब उद्धर्ष, कब
read more >>
« Previous
Next »
Showing
1
to
10
of
158
results
‹
1
2
3
4
5
6
7
8
9
10
...
15
16
›
Share on:
Facebook
Twitter
Linkedin
WhatsApp
Pinterest
Telegram
Copy Share Link
Copy
Join Us:
© 2024 |
Sahity Live
®
| All Right Reserved.
A product of
DishaLive™ Group
| Digital Partner:
MyDL.in Website Builder