Santosh kumar koli ' अकेला' 10 Feb 2024 कविताएँ समाजिक विचार विस्फोट 11675 1 5 Hindi :: हिंदी
विक्षोभ, विक्षत, विक्षुब्ध, संपीड़ित घुटन, घुमड़ी, टकराती तड़ित्। चिंता सज्जित, तनाव जड़ित। ना पर, परा, स्वयं गढ़ित। स्फूरण, स्फूर्ज, विकीर्ण रश्मियां। आह, डाह से, डूबती हैं कश्तियां पारापार से, अस्त होती हस्तियां। तन, मन की, बंजर होती धरतियां रखो सुराख़, निकलता रहे लावा। एक विचार, एक परिपथ, सतत ना काटे कावा। संगठित, उत्पीड़ित, साहसा ना बोले धावा। रहे संकीर्ण संप्रवाह, ना संप्लव बुलावा।
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