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लोकतंत्र और धर्म

Pinky Kumar 04 Apr 2023 आलेख राजनितिक 7944 0 Hindi :: हिंदी

लोकतंत्र =) का अर्थ जनता के जनता के लिये और जनता द्वारा चुना गया प्रतिनिधि ही देश कि सरकार बनायेंगी या सरकार बनेंगी अलग - अलग परिस्तियो में लोगों के विचार बदलते रहें लोगों के हमारा एक किमती वोट बताता है। कि हम अपने देश के लिये कैसा शासक चुन रहें है। लोकतंत्र का अर्थ धर्म, जाति बिना किसी भेद भाव से उप उठकर है। जब हम वोट देते र्है तो यह नहीं देखते कि वो किस धर्म का है। या किस जाती का है। हम इन सब बातो से ऊपर उठकर हम उन्हेंने वोट देते है। पर बिते कुछ सालों कि में बात करूतो पूरा लोकतंत्र धर्म और जाति के नाम पर बट गया है। या बाट दिया गया है। धर्म और जाति के आधार पर अब सरकारे बन्ने लगी है। राम के नाम पर वोट लिये जाने लगे है। और हम जनता बिना सोचे समझे भावनाओं में आकर उन्हें वोट देने लगे है। में पूछना चाहती हूँ क्या धर्म देश के कानून और संविधान से ऊपर हो गया इस देश को आजाद करवाने के लिये कोई विशेष धर्म और जाति ने भाग लिया है। इतिहास उठाकर देखों अगर धर्म से देश आजाद होता तो अभी तक हमारा देश गुलामी में जिरहा होता समझों इस बात को में अपने हर लेख में यही कहती हूँ कि देश का विकास कोई राम मोहमद नहीं करने वाले या इनके नाम से विकास नहीं हो जाता अगर ऐसा ही होता तो आजादी कि लड़ाई में हजारो लाखों लोग अपना खुन नहीं बहाते अंग्रेजो को जय श्री राम बोलकर या मोहम्द साहाब बोलकर देश से निकाल देते अगर ऐसा होता तो रानी लक्ष्मीबाई आजादी कि लड़ाई लड़ती ही नहीं यही बोलती अंग्रेजों को कि मेने तो जय श्रीराम बोल दिया है। अब देखों अंग्रेज कैसे जाते अपने देश से यह मेने एक उदाहरण दिया है। समझाने के लिये अगर जय श्रीराम से या मोहम्द साहाब के नारे लगाने से ही देश आजाद हो जाता और अंग्रेज देश छोड़कर चले ही जाते तो लोगों को आजादी कि लड़ाई में खुन बहाने कि जरूरत नहीं पड़ती अगर अर्जुन कृष्ण का नारा लगार यह बोलता कि मेने तो कृष्ण तुम्हारा नारा लगा दिया अब देखों कैसे भागते शत्रु तो कृष्ण को जरूरत नहीं पड़ती गीता का उपदेश देने कि समझों बात को हर गलत के लिये लड़ना पड़ता है। साहाब नारे लगाने से ना देश आजाद नहीं होता लोगों ने जान दि है। आजदी के बदले तो आज यह क्या नाटक लगा रखा है। शायद मेरी बात बुरी लगे पर एक बार सोचों समझों बात को कि हम ऐसे लोगो को बढ़ावा दे रहें है। यह हमारी समझदारी नहीं है। यह हमारी पागल पन्ती है। इसी लियें हमारे देश में अंग्रेजों ने शासन किया और अब जय श्रीराम के नाम वोट लेने वाले लोग शासन कर रहें हैं। और इसका कारण हम ही है। इसे हमें कोई नहीं बचा सकता हमारा लोकतंत्र खतरे में हैं। और इसका कारण हम ही है। में पूछना चाहाती हूँ कि यह जो राम के नाम पर गाना बजाते नाचते है। और दिखावा करते है। कुरान के नाम पर जो दिखावा करते है। कि हमारा धर्म बड़ा है। एक बार पूछों इनसे कि क्या कभी रामायण बढ़ी हैं। क्या तुम्हने गीता पढ़ी है। क्या तुम्ने कुरान पढ़ीं है। अगर पढ़ी होती तो आज भगवान के नाम पर यह दिखावा करने कि जरूरत नहीं पड़ती किसी धर्म के ग्रन्थों में यह नहीं लिखा कि तुम किसी का बुरा करौ यह आंदोलन करों या गाने बताओंगे तो राम खुद आयेगें तुम्हें दर्शन देने के लियें यह तो एक तरह से हम झूठ को बढ़ावा दे रहें है। अपनी नाकामी को छुपा रहें है। हमने गीता नहीं पढ़ी हमने रामायण नहीं पढ़ी पर हम सबसे बड़े बक्त है। भगवान के बस यह मत पूछों कैसे बस हम भक्त है। क्योंकि कि हम दिखावा करते है। और जो दिखावा करते है। वहीं भक्त होते है। बन्द करो यह सब झूठ का साथ देकर भगवान के नाम पर वोट लेना और वोट देना बन्द करों और समझों कि हमारे देश में क्या गलत हो रहा और क्या सहीं किसी गरीब का भला होता नही है। हमसे और चले भगवान का नारा लगाने में कोई हिन्दू विरोधी नहीं हूँ हाँ पर में झूठ के खिलाफ जरूर लिखुगी और जब तक लिखुगी जब तक यह सब नाटक बन्द नहीं हो जाती है। जब तक देश में बिना जाति धर्म कि सरकार नहीं बन जाती जो भगवान के नाम पर वोट लेना बन्द करे जो सचाई पर बात करना शुरू करे हमारा देश सभी धर्मो से ऊपर उठकर बना है। किसी विशेष धर्म का दर्जा देकर इसे बाटों मत

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