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सपने को भूल कर जिया तो क्या जिया. दम है तो उसे पाकर दिखा. लिख पत्थर पे ज़िन्दगी की कहानी और सागर को बोल दम है तो उसे मिटा कर दिखा? read more >>
वर्ष छंद (बाल कविता) बिल्ली रानी आवत जान। चूहा भागा ले कर प्रान।। आगे पाया साँप विशाल। चूहे का जो काल कराल।। नन्हा चूहा हिम्मत राख। read more >>
शीर्षक (आम) मेरे अल्फ़ाज़ (सचिन कुमार सोनकर) आम फलों का राजा है। ये सबके मन को भाता है। ये सबके मन को ललचाता है। इसे खाये बिना नहीं रहा जात read more >>
आशाओं से खिली चाहतें, जो रहें कर्म से लिप्त! ये चल कर लै कर ज्ञान धरा पर, करें धरा संतृप्त!! है ज्ञान अनुठा करी गर्जना, read more >>
(बाल कविता) म्याऊँ म्याऊँ के दे बोल। आँखें करके गोल मटोल।। बिल्ली रानी है बेहाल। चूहे की बन काल कराल।। घुमा घुमा कर अपनी पूँछ। ऊपर न read more >>
घूमे हारे थके हुए आकार सो गय पता नहीं हुआ सवेरा चिंटू गुल्लू के संग भागे पता नहीं ना खाने की चिंता थी ना रहने की थी फिकर बस जो मिला खा लि read more >>
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