Meenubaliyan 30 Mar 2023 कविताएँ बाल-साहित्य बच्चे का सपना और देश प्रेम 81634 0 Hindi :: हिंदी
छोटा सा बचपन का सपना सपने में था फोजी बनना दौड लगाना खेलने जाता माँ बाप का मान बढाना माँ से कहता खूब खिलाना फिर मुझको है सीमा पर जाना माँ मेरी हँसकर कह जाती तू छोटा सा जवान बनेगा कैसा बाप केे कंधो पर है रहता अपनी ही जिद पर है जीता वहां ना होगा कोई तेरा अपना ये कैसा देखा है तुमने सपना माँ मैं अकेला ही रह लूंगा हस्ते हस्ते सब दुःख सह लूँगा जब आऊंगा छुट्टी फौज से फिर जी लूंगा जिंदगी मौज से एक दिन मैं बनके फौजी देश के लिए बन जाऊ मन मोजी बस इतना सा है मेरा सपना छोटा सा बचपन का सपना................
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