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रँग इतलाती - बलखाती नदियाँ, सागर से मिलने मैं जाऊँ। सागर कहता 'हूँ गंभीर मैं, रँगों मे खो जाऊँ। । रँग जो कहते हैं सूरज से ,अपनी रश्मि क read more >>
काश हम चिडिया होते कोई बंधन न होता, मन चाहता वो करते, कोई रोक टोक न होता, कभी इस डाली, कभी उस डाली, जहा चाहत हो वही मोह फैलाते, कोई चीख चिल read more >>
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