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सरकारी दफ़्तर की हकीकत

Raghvendra rajapati 30 Mar 2023 कविताएँ हास्य-व्यंग सरकारी दफ़्तरो मे भ्रस्टाचार मे लीन बाबूओ का व्यवहार 8153 0 Hindi :: हिंदी

एक दिन हम पहुचे न्यायलय बनवाने एक प्रमाण पत्र
वहा पर कुछ लोग काले कोट मे घूम रहे थे यत्र तत्र
            वहा पर बनी  थी बहुत सारी कुटी
            जहा पर लोगो की थी भीड़ जुटी
सभी कुटियों के सामने लगा था एक सूचना पटल
जिसमे कुटी के बारे मे लिखा था सत्य अटल
             हमारे यहाँ सभी प्रकार के स्टाम्प और टिकट बेचे जाते है
             अगर जरूरत हो तो सादी से पहले ही तलाक करवाये जाते है
ये सब देख कर मुझे डर स सताने लगा
फिर भी मै दबे पाव अंदर की ओर जाने लगा
            तभी किसी ने मुझे पुकारा
            बोला ! क्यों घूम रहा है आवारा
मै बोला साहब यहाँ घूमना भला किसे भाता है
होती है जिसकी मजबूरी वही यहाँ आता है
            तेरी क्या मजबूरी थी जो तू यहाँ आया
             ऐसा तो नहीं किसी की चेन या गला रेत लाया
मैं डरते डरते यहाँ आने का राज खोला
और तेज आवाज मे अकड़ कर बोला
            दरअसल हमें रेल मे भर्ती होने जाना है
             बस उसी के लिए एक प्रमाण पत्र बनवाना है
तभी एक ने कहा 500 दूसरे ने 700 मे बनवा देंगे
तीसरा ने कहा 1000 दो बनवा कर घर भिजवा देंगे
              मैंने कहा मै आपको नहीं जानता आप है कौन
              तभी चिल्लाकर बोला चुप चाप सुन होकर मौन
जरूरी नहीं जो यहाँ आते है हम उन्हें जानते है
हम तो उन्हें अपना ग्राहक मानते है
             हम अपने परिचय के मोहताज नहीं दुनिया जानती है
              जनता हमें दलाल और सरकार वकील मानती है
देरी से ही सही पर समझ मे आना ही था
और अब मुझे यहाँ से किसी प्रकार जाना ही था
             साहब प्यास लगी है कह कर मै जाने लगा
             कैसे बने प्रमाण पत्र मन मे तरकीब लगाने लगा
तभी एक सज्जन ने मुझे एक तरकीब बताया
100 रुपये मे मेरा फॉर्म तैयार करवाया
             फार्म जमा हेतु मुझे आगे जाने को इशारा किया
             कहा जमा करना है बाबू का पता बता दिया
दफ्तर के बाबू कर रहे थे आपस मे चर्चा
ज़ब से ऑनलाइन हो गया निकलता नहीं है खर्चा
             पहले तो हम हजारों मे चाय नास्ता कर लेते थे
             पगार से ज्यादा मृत्यु प्रमाण पत्र से कमा लेते थे
अब तो जो भी गिने चुने ग्राहक आते है
वो भी 181(म. प्र. शासन शिकायत नंबर ) की धमकी दे जाते है
             तभी मै एक से बाबू की पहचान पूछ डाला
             वो भी गुस्से मे ही कुछ यूँ बता डाला
वो जो तोंद वाला काला आदमी बहुत बेकाबू है
उन्ही के पास जमा कर दो वही बाबू है
              फार्म देखते ही बाबू बिलबिलाया
              पूरे कागज नहीं लगाते हो चिल्लाया
फिर बड़े प्यार से समझाया
कुछ कागज कम है बतलाया
              कुछ ही देर मे सब कागज लगाकर ज़ब गया
              तो बोला अभी तो लंच हो गया
मै बोला सर मुझे थोड़ा जल्दी प्रमाण पत्र बनवाना था
बड़े प्यार से बोला ये बात पहले बताना था
              वो जो सामने मकान है
              वहा एक स्टाम्प और पान की दुकान है
वहा से 500 का स्टाम्प या 200 का पान लगवा लाओ
और जमा करो अभी परसो प्रमाण पत्र ले जाओ
             मैंने कहा सर  कल बनवाने की कोई तरकीब है
             प्यार से हस के बोला चाय,कॉफी जैसी भी तो कोई चीज है
फिर क्या था अब मुझे चाय, पान, कॉफी लाना था
सोचना क्या मुझे कल चाहिए तो कॉफी ही लाना था
             मैंने दुकान मे जैसे ही कॉफी का आर्डर किया 
            आपको है की दफ़्तर को दुकानदार ने पूछ लिया
दफ़्तर का नाम लेते ही मुस्कुराया
फिर एक कॉफी का बिल पकड़ाया
           बिल देते समय मुझे ऐसा महसूस हो रहा था 
            मानो जैसे मैं DB मॉल मे शॉपिंग कर रहा था
कॉफी के साथ फॉर्म पकड़ाया
बाबू मुस्कुराया
             बोला कल सुबह आकर प्रमाण पत्र ले जाओ
             अगर फुर्सत हो तो रुको शाम तक ही ले जाओ
बाहर बैठा अकेला मै शाम का इंतजार करने लगा
ज़ब एक प्रमाण पत्र मे इतना तो न्याय के लिए कितना सोचने लगा
              अब मै यहाँ नहीं आऊंगा
              सबको यह बतलाऊंगा
कानून की जानकारी खुद रखो और रखवालो से डरो
जितनी हो कोशिश लड़ाई झगडे से बचो
             क्यों की न्याय बहुत सस्ती पर देने वाले बड़े है
              कुछ वकील और बाबुओ की वजह से
     कितने लोग लाइन मे खड़े है..........
     कितने लोग लाइन मे खड़े है..........
                             
                                               -    RAGHU

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