Komal Kumari 03 Mar 2024 ग़ज़ल समाजिक 14112 0 Hindi :: हिंदी
राख की कई परतों नीचे तक देखा पर अफसोस वह गुरुर, रूतवा और वह पद कहीं नज़र नही आया जो मनुष्य सारी उम्र ओढ़ के रहता है ।
#Mujhko pasand hai khud Ko hi padhna ek kitab hai mujhmein Jo mujhe aajmati hai. @ham Apne jivan ka...