जीतपाल सिंह आर्यावर्त 30 Mar 2023 ग़ज़ल प्यार-महोब्बत 89597 0 Hindi :: हिंदी
झुका के चल इन कातिल निगाहों को महज़| तेरी नजर के शोलों से जमाना जल रहा है| तू नैनों की बिजली को पलकों में बन्द कर ले, शमाँ तेरी इस आग से परवाना जल रहा है| दूर ही ठीक हैं तेरे दीदार-ए-मरीज़ काफ़िर| पास आके तेरे तेरा दिवाना जल रहा है| तूने दिया हकी़र तोहफ़ा उसका ख्याल कर, इस मदहोशी में अपना नजराना जल रहा है| फना न हो जायें कहीं ये प्यार के किस्से, इन लपटों में घिर के अफ़साना जल रहा है|| • ~जीतपाल सिंह आर्यावर्त