मारूफ आलम 30 Mar 2023 ग़ज़ल समाजिक #insano k khukhar chero se darte h ab, #social sayari, #dard sayari, #sad sayari#gajal 68319 0 Hindi :: हिंदी
इंसानों के खूंखार चेहरों से डरते हैं अब जमीन पे फरिश्ते भी कम उतरते हैं अब उखड़ी सड़कों पर कभी निकलकर देखो कुत्ते बिल्ली की तरह लोग मरते हैं अब हमारे मुहल्ले की गलियां तंग क्यों करदीं तुम्हारे मुहल्ले मे तो फर्राटे भरते हैं अब ताल तलाब नदियाँ सारे कब के पट गए देहात के ये जंगल बहुत अखरते हैं अब प्यासी जमीं कल जो समंदर सोख गई थी जमीं की परत पर ओंस से उभरते हैं अब मारूफ आलम