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मोती लाल साहु

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अलंकृत कर रिद्धि-सिद्धि, चहकें राग रागिन। जगीं निशा हर सिंगार, दरबार मनभावन।। मांँ सरस्वती की-कृपा, समाई ह्रदय-कमल। प्रस्फुटित कंठ read more >>
अद्भुत सब प्रकृति सुंदर, दीदार करता दिल। चहकता-महकता-चमन, गुलशने बहार तुम।। मोती- read more >>
कृपा अनंत का यह तन, में अंत वा अनंत। चंद श्वासों का यह जीवन, श्वास में हीं अनंत। मोती- read more >>
ढूंढता प्यासा निगाह, अनजान वह सूरत। सुरति जगी दिल अंदर, दरगाह में हुजूर।। मोती- read more >>
हिय प्रवाहित ईश प्रेम, उर में प्रगाढ़ भक्ति। जन्म-जन्मांतर का तप, तपे साईं परगट।। मोती- read more >>
मन के हैं चार तरंग, बुद्धि-चित-अहंकार। बस में नहीं मन चंचल, बुद्धि का नहीं मोल! अहंकार तो सरताज, गया चेत सब शुन्य। चेतना हुआ चैतन्य, जब read more >>
हे वसुंधरा रानी, मांँ तू एक कहानी। तेरी आंचल में फूले, काम-क्रोध-मोह-लोभ की फुलवारी। जग में सबकी तू मांँ, महामाया प्यारी। सब जने जगत स read more >>
सुर कृपा से सब जग-जन, जगे में कोय-जाग। सब जीव उत्तम-मानव, गुण सतज्ञान-विवेक।। अर्थ-चराचर जीव जगत ईश्वरीय कृपा का सकार रुप,मानव सब read more >>
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