Tulasi Seth 08 Feb 2024 आलेख प्यार-महोब्बत मन की बातें 11204 0 Hindi :: हिंदी
स्कूल का वो पहला दिन जब सभी अपना अपना परिचय गुरु जी को बता रहे थे,तब बहुत सारे नये वच्चे आए थे ।सब अपने अपने वारे में बता रहे थे। किसी पर भी ध्यान नहीं गया जब उसने गंभीर स्वर से अपना परिचय दिया तब एकाएक ही मन और आंखें उसकी ओर पलट गया। न जाने क्यों उसकी आवाज से वो बहुत अच्छा लगने लगा। बहुत अजीब था विना चप्पल पहने ही स्कूल आ जाता था । सबसे अच्छी दोस्ती भी थी उसकी।पढ़ाई में हमेशा आगे।न कोई बुरी आदत न कोई बुरी संगत फिर भी हम दो तिन को बो अच्छा नहीं लगता था क्योंकि कि वो हमसे ज़्यादा मार्क लाता था। कभी कभी तो हम उसकी चुगली भी करते थे की वो नकल करता है।पर ऐसा था भी तो क्या वंदा तो अच्छा था। फिर कब उससे दोस्ती हुई पता न चला। जब वह कभी स्कूल नहीं आता तो बहुत बुरा लगता था ।सब कुछ जैसे अधुरा सा लगता था ।उसके विना पढ़ाई में मन भी नहीं लगता था। मुझे उसकी फिकर होती थी जब कभी भी उसे बुखार होती थी या कोई परेशानी। मैं तो जैसे उसमें ही खोई हुई थी। मेरे कुछ दोस्तों को यह पता भी था पर उसे कभी भी इसका पता ही नहीं था। ओर मुझे यह भ्रम था कि वो सव समझता था। कई साल लग गए उस भ्रम में जिते हुए ।अब जाकर वो सपना टुटा है।पर दिल के ऐहसास नहीं।जो पल हमने साथ बिताए हैं वो अब स्मृति है ।पर थे तो हमारे हम थे उसमें। हमारी मासुमियत थी उसमें ओर वह हमेशा मन में युं ही सतेज रहेगी।