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प्रधानमंत्री की सुरक्षा के साथ खेल

virendra kumar dewangan 30 Mar 2023 आलेख दुःखद Constitutional Mistake 85425 0 Hindi :: हिंदी

प्रधानमंत्री पहले देश का प्रधानमंत्री यानी शासनाध्यक्ष होता है, फिर किसी पार्टी का नेता। चाहे वह किसी पार्टी से क्यों न हो? क्या इतनी-सी बात पंजाब की चरणजीत चन्नी सरकार के भेजे में नहीं धुसी कि उनने प्रधानमंत्री की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ कर दिया और एक चुने हुए प्रधानमंत्री की जान को 20 मिनट जोखिम में डाल दिया?
सवाल यह भी कि प्रधानमंत्री के पूरे रूट की जानकारी केवल एसपीजी यानी रोड ओपनिंग टीम, जो स्थानीय पुलिस होती है, को होती है, लेकिन यहाॅं तो इसकी जानकारी मुख्यमंत्री को छोड़कर सभी को थी। तभी तो उन तथाकथित किसान आंदोलनकारियों तक यह जानकारी पहुॅंचा दी गई थी, जो रोड ब्लाॅक करने की मंशा से रोड पर प्रदर्शन कर रहे थे। 
यहाॅं तक कि उन छिछले काॅंग्रेसी नेताओं तक को इसकी जानकारी थी, जो घटना के तुरंत बाद ट्वीट कर उनकी हॅंसी उड़ा रहे थे।
एक राज्य में प्रधानमंत्री की यात्रा में सदभाव के नाते मुख्यमंत्री को सम्मिलित होना चाहिए, चाहे वे किसी पार्टी के हों। यहाॅं चरणजीत सिंह ने उस कस्टी का भी निर्वहन नहीं किया। उन्होंने नहीं किया, तो समझ में आया कि वे मुख्यमंत्री पद को पार्टी से नीचे रखते हैं। वे अपनेआप को पहले दलीय नेता, फिर मुख्यमंत्री समझते हैं, जो उनकी छोटी सोच का परिचायक है। 
एक संघीय व्यवस्था में क्या किसी सीएम की डूब मरने की स्थिति नहीं है कि उसके लिए पीएम कहे कि अपने सीएम को कहना कि मैं जिंदा लौट आया? 
लेकिन, राज्य के प्रशासनिक व पुलिस प्रमुख को क्या हो गया था, जो प्रधानमंत्री के साथ नहीं थे? यह घोर प्रशासनिक व सुरक्षात्मक लापरवाही है, जिसकी जितनी बड़ी सजा हो सके, इन्हें तुरंत दिया जाना चाहिए।
बठिंडा और फिरोजपुर के बीच खासकर हुसैनीवाला के करीब फ्लाईओवर वह स्थल है, जहाॅं प्रधानमंत्री का काफिला फंसा हुआ था, यह शत्रु देश पाकिस्तान से महज 10-15 किमी दूर है। यह खालिस्तानी आतंकवादियों की शरणस्थली भी है। ऐसे में, भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री के साथ कुछ भी हो सकता था। यह सुनकर ही देश सन्न रह गया है। जबकि काॅंग्रेस ऐसी ही बेपरवाहियों से देश के दो-दो प्रधानमंत्रियों को खो चुका है।
वस्तुतः, यह कांगे्रस की मोदीविरोधी मानसिकता का बेनतीजा है, जो प्रधानमंत्री के प्रति नफरत की राजनीति कर रहे हैं और बात-बात पर उनके खिलाफ जहर उगल रहे हैं। इसके पीछे धृणा की वही सोची-समझी राजनीति है, जिसके मोहरे चन्नी साहब बन गए हैं। 
इस मामले के तह तक जाना जरूरी है, ताकि वे ताकतें बेनकाब हो सकें, जो देश में विष बो रहे हैं और माहौल खराब करने के साथ-साथ प्रधानमंत्री की सुरक्षा तक को ताक पर  रख रहे हैं। मामले में दोषियों पर तत्क्षण कार्रवाई किया जाना समय की मांग है, ताकि कसूरवारों को सबक मिले और ऐसी दुःखद घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो सके।
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अनुरोध है कि लेखक के द्वारा वृहद पाकेट नावेल ‘पंचायत’ लिखा जा रहा है, जिसको गूगल क्रोम, प्ले स्टोर के माध्यम से writer.pocketnovel.com पर  ‘‘पंचायत, veerendra kumar dewangan से सर्च कर और पाकेट नावेल के चेप्टरों को प्रतिदिन पढ़कर उपन्यास का आनंद उठाया जा सकता है तथा लाईक, कमेंट व शेयर किया जा सकता है। आपके प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा रहेगी।

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