virendra kumar dewangan 30 Mar 2023 आलेख अन्य Trade 87319 0 Hindi :: हिंदी
कान्फेडरेशन आफ आल इंडिया टेªडर्स एसोसिएशन (कैट) का कहना है कि देश में रिटेल व्यापार में केवल 1.6 फीसद की हिस्सेदारी है ई-कामर्स कंपनियों की, लेकिन इस छोटी सी हिस्सेदारी में इन्होंने देश के 40 फीसद खुदरा व्यापार को पूरी तरह से बरबाद कर दिया है। उसका यह भी कहना है कि जब मामूली सी हिस्सेदारी से रिटेल कारोबार 40 प्रतिशत प्रभावित हो गया है, तो थोक व्यापार कितना प्रभावित नहीं होगा। यही कारण है कि पिछले एक साल में 50 हजार से अधिक मोबाइल खुदरा विक्रेता, 30 हजार से अधिक इलेक्ट्रानिक्स खुदरा विक्रेता, 25 हजार से अधिक किराना खुदरा व्यापार और 35 हजार से अधिक कपड़ा फुटकर विक्रताओं ने कारोबार समेट लिया है। कैट ने आनलाइन कंपनियों से जुड़ी कंपनियों को चेतावनी दिया है कि अब आनलाइन में ज्यादा छूट दी गई, तो उनके उत्पादों का बहिष्कार किया जाएगा। कैट ने इन कंपनियों से ज्यादा डिस्काउंट देने पर जवाब भी मांगा था, लेकिन कंपनियों ने कोई जवाब देना मुनासिब नहीं समझा है। कैट ने इस रवैये से नाराजगी जताई और बहिष्कार की चेतावनी दी है। कैट ने आनलाइन कंपनियों के नीतियों के खिलाफ बीते साल विरोध जताया। उनका कहना है कि आनलाइन कंपनियां एफडीआइ नीति एवं नियम का उल्लंधन कर रही हैं। इन पर सख्त रवैया अपनाना जरूरी है। कैट से जुडे़ संगठनों का यह विरोध देश के 500 से अधिक जिलों और 300 से अधिक शहरों में एक साथ हुआ। दूसरी ओर उपभोक्ताओं को आनलाइन बुकिंग पर सस्ते में खाना, नाश्ता उपलब्ध करवानेवाली आनलाइन फूड कंपनियां अब अपना खुद का खाना बनाकर बेचने की तैयारी कर रही हैं। कुछ कंपनियों ने देश के नगरों व शहरों के अंदर अपना ठिकाना ढूंढना आरंभ कर दिया है, कुछ ने तो ठिकाना ढूंढ भी लिया है। कइयों ने शादी-विवाह के लिए आकर्षक पैकेज आरंभ कर दिए हैं। जीएसटी में हुई कटौती के कारण इन पैकेजों के दाम भी सस्ते हो गए हैं। इसके लिए होटल कारोबारी इन कंपनियों के खिलाफ कोर्ट जाने के साथ-साथ प्रतिस्पर्धी आयोग जाने की भी तैयारी कर रहे हैं। --00-- अनुरोध है कि मेरे द्वारा वृहद पाकेट नावेल ‘पंचायत’ लिखा जा रहा है, जिसको गूगल क्रोम, प्ले स्टोर के माध्यम से writer.pocketnovel.com पर ‘‘पंचायत, veerendra kumar dewangan पर सर्च कर पाकेट नावेल का आनंद उठाया जा सकता है।