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लाउडस्पीकर विवाद

virendra kumar dewangan 30 Mar 2023 आलेख दुःखद LoudSpeeker controversy 87193 0 Hindi :: हिंदी

      इन दिनों लाउडस्पीकर का विवाद अपने चरम पर है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने महाराष्ट्र सरकार को खुलेआम चेतावनी दिया है कि उसने मस्जिदों से यदि लाउडस्पीकर नहीं निकलवाया, तो वे मस्जिदों के सामने उसी हाईवाल्यूम से हनुमानचालिसा का पाठ करवाएंगे, जिस हाईस्पीड से मस्जिदों में अजान पांच टाइम पढ़ा जा रहा है।
       मनसे अध्यक्ष का कहना है कि फुलस्पीड से अजान पढ़ने से जहां बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है, वहीं बीमार आदमी और बीमार हो रहा है। उन्होंने प्रश्न किया है कि लाउडस्पीकर से सड़कों पर अजान पढ़कर दूसरों को डिस्टर्ब करने का क्या मतलब है? धर्म को अपने तक सीमित रखा जाना चाहिए।
       वाकई, एक धर्मनिरपेक्ष देश में यह देखा जाना जरूरी है कि अपने धार्मिक क्रियाकलापों से किसी दूरे धर्मावलंबियों का अहित तो नहीं हो रहा है। उन्हें कोई कष्ट-कठिनाई तो नहीं हो रही है। यदि ऐसा हो रहा है, तो उसको बंद करने से परहेज नहीं करना चाहिए, ताकि सभी धर्मों के लोग शांति और सदभाव से एक पंथनिरपेक्ष देश में रह सकें और अपने-अपने धर्म को निभा सकें।
       इसकी देखादेखी उप्र में भी लाउडस्पीकर विवाद होने लगा है और वहां भी हनुमानचालिसा पूरे जोर-शोर से पढ़ा जा रहा है। यही नहीं, महाराष्ट्र के निर्दलीय सांसद नवनीत राणा और उसके विधायक पति महाराष्ट्र के अमरावती में लाउडस्पीकर बांटते टीवी में देखे जा रहे हैं और मंदिरों में हनुमानचालिसा का पाठ करवा रहे हैं। 
       इस विवाद से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी व कांग्रेस के समेत शिवसेना किंकर्तव्यविमुख है। जबकि पूर्व में शिवसेना उग्र हिंदुत्ववादी पार्टी मानी जाती थी, लेकिन सत्ता में आने के बाद अपना मुखौटा उतार दी है और उग्रता को छोड़कर छद्म उदारता का परिचय दे रही है।
      ध्वनि प्रदूषण के संबंध में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का नियम है कि रहवासी इलाकों में जहां 45 से 55 डेसिबल का शोर नहीं होना चाहिए; वहीं, औद्योगिक क्षेत्रों में भोंपू 75 डेसिबल से अधिक मात्रा में नहीं बजाया जाना चाहिए, जिसको कि डिजिटल साऊंड लेबल मीटर से आसानी से नापा जा सकता है। 
      इस संबंध में सुप्रीमकोर्ट ने आदेश देकर कहा है कि ऊंची आवाज मौलिक अधिकारों का उल्लंधन है, इसीलिए तेज आवाज में लाउडस्पीकर नहीं बजाया जा सकता। लाउडस्पीकरों की आवाज तय मानकों से अधिक नहीं होनी चाहिए। ध्वनि प्रदूषण के संबंध में निर्धारित नियमों का पालन करना-करवाना राज्य सरकारों की प्राथमिक जिम्मेदारी है।
      सीपीसीबी का नियम यह भी कहता है कि सार्वजनिक स्थल पर भोंपू बजाने के लिए हर किसी को पुलिस प्रशासन या प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनुमति लेनी होगी। साथ ही, भोंपू बजाने की अनुमति रात 10 से सुबह 6 बजे तक नहीं दी जाएगी। इस संबंध में यदि किसी को कोई शिकायत करनी है, तो शासन के हेल्पलाइन नंबरों पर किया जा सकता है। 
      सीपीसीबी के कानून में ध्वनि की सीमा उल्लंधन में धारा-15 में सजा का प्रावधान है। उल्लंधन पर पांच साल तक की कैद और एक लाख रुपये तक जुर्माना हो सकता है। लगातार उल्लंधन पर 5 हजार रुपया रोज जुर्माने का प्रावधान है। ध्वनि प्रदूषण पर पुलिस परिसर में घुसकर लाउड स्पीकर जब्त कर सकती है।
      ध्वनि प्रदूषण पर सुप्रीमकोर्ट का सबसे महत्वपूर्ण निर्णय 18 जुलाई 2005 का है, जिसमें कोर्ट ने कहा था कि हर व्यक्ति को शांति से रहने का अधिकार है और यह अधिकार जीवन के मौलिक अधिकार का हिस्सा है। लाउडस्पीकर या तेज आवाज में अपनी बात कहना अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार में आता है, लेकिन अभिव्यक्ति की आजादी जीवन के अधिकार से ऊपर से नहीं हो सकती।
      शीर्षकोर्ट ने यह भी कहा था कि शोर करनेवाले अक्सर अनुच्छेद 19(1)ए में मिली अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार की शरण लेते हैं। लेकिन, कोई व्यक्ति लाउडस्पीकर चालू कर इस अधिकार का दावा नहीं कर सकता। अगर किसी के पास बोलने का अधिकार है, तो दूसरे के पास सुनने या सुनने से इंकार करने का अधिकार है।     
      सवाल यह कि संवैधानिक संस्थाओं के नियमों और सर्वोच्च अदालत के आदेशों का पालन करना जहां प्रत्येक नागरिक व संस्था की प्राथमिक जवाबदारी है, वहीं राज्य सरकार इस जिम्मेदारी से बच नहीं सकते। फिर चाहे वह अजान हो, हनुमानचालिसा हो, गुरुद्वारा की गुरुवाणी हो, गिरिजाघरों की प्रार्थना हो, नववर्ष का उत्सव हो, या हो नवरात्र, गणेशपूजा, विवाह समारोह, भागवत पुराण या अन्य कोई सभा-समारोह, भाषण या रैली। कोई राज्य सरकार कोरे तुष्टीकरण, छद्म धर्मनिरपेक्षवाद व थोथे उदारवाद को ऊसूल बनाकर इन संवैधानिक जवाबदेहियों से बच नहीं सकता।
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अनुरोध है कि मेर द्वारा वृहद पाकेट नावेल ‘‘पंचायत’’ लिखी जा रही है। गूगल क्रोम, प्ले स्टोर के माध्यम से writer.pocketnovel.com पर पंचायत, veerendra kumar dewangan को सर्च कर चेप्टरवाइज पढ़ा जा सकता है और प्रतिक्रियाएं दिया जा सकता है। आपकी प्रतिक्रियाओं का तहेदिल से स्वागत रहेगा।

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