virendra kumar dewangan 30 Mar 2023 आलेख दुःखद Polity 86564 0 Hindi :: हिंदी
1956 में मप्र. के पहले मुख्यमंत्री पं. रविशंकर शुक्ल ने जगदलपुर में कलेक्टरों की मीटिंग रखी और सख्त लहजे में निर्देशित किया कि मुझे दस दिनों में भ्रष्टाचार खत्म करनी है। एक कलेक्टर ने हिम्मत कर पूछा,‘‘सर, शुरू कहां से करना है।’’ यह सुन मुख्यमंत्रीजी तिलमिलाकर तल्ख लफ्जों में जानना चाहा कि कहना क्या चाहते हो? इसपर उस बहादुर कलेक्टर ने फिर साहस बटोरा,‘‘सर, यही कि भ्रष्टाचार खत्म करने की शुरूआत नीचे से, यानी चपरासी, बाबू स्तर से करनी है या ऊपर से।’’ तात्पर्य यह कि भ्रष्टाचार तब भी था और आज भी है। बस वक्त बदल गया है। सत्ताएं बदल गई हैं, चेहरे बदल गए हैं। पार्टिंयां बदल गईं हैं। पर, व्यवस्थाएं जैसी 1956 में थी, वैसी आज भी हैं। जब तक कि इसमें बदलाव के लिए जनांदोलन नहीं होता, यह वैसी ही बनी रहेगी। हालांकि अन्ना आंदोलन से यह उम्मीद जगी थी, लेकिन वह भी अपने अंजाम के बिना कतिपय सत्तालोलुपों व स्वार्थी तत्वों के कारण बेनतीजा कर दिया गया। कुछ खुदगर्जियों ने इसका बेजा फायदा उठाया और सत्ता-सिंहासन को भ्रष्ट्राचार उल्मूलन का हथियार बना लिया, जबकि भ्रष्टाचरण का आरंभिक स्त्रोत वही निहित है। --00-- अनुरोध है कि लेखक के द्वारा वृहद पाकेट नावेल ‘पंचायत’ लिखा जा रहा है, जिसको गूगल क्रोम, प्ले स्टोर के माध्यम से writer.pocketnovel.com पर ‘‘पंचायत, veerendra kumar dewangan से सर्च कर और पाकेट नावेल के चेप्टरों को प्रतिदिन पढ़कर उपन्यास का आनंद उठाया जा सकता है तथा लाईक, कमेंट व शेयर किया जा सकता है। आपके प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा रहेगी।