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भाषा सीखने का मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण

virendra kumar dewangan 30 Mar 2023 आलेख अन्य Language 87334 1 5 Hindi :: हिंदी

 
किसी भाषा को सीखने का मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण होता है, जो केवल तीन हैं। 
इसी के आधार पर कोई भाषा सीखी और सिखाई जाती है।
1.	जिज्ञासा-जानने की इच्छा। जिस व्यक्ति में किसी भाषा को जानने की इच्छा जितनी प्रबल होती है, वह उतनी जल्दी उस भाषा को सीख सकता है। 
अतः, किसी भाषा को सीखने के लिए सबसे पहले हममें जिज्ञासु प्रवृत्ति होनी ही चाहिए, तभी कोई भाषा सीखी जा सकती है।
2.	अनुकरण-जो है, उसका दोहराव; अनुसरण या के अनुसार नकल करने को अनुकरण कहा जाता है। 
यह दृष्टिकोण भी भाषा को सीखने में अत्यंत सहायक होता है।
3.	अभ्यास-बार-बार का प्रयोग और उपयोग को अभ्यास कहा जाता है। 
यह अभ्यास न केवल भाषा, अपितु जीवन के हर क्षेत्र में सफलता के लिए आवश्यक हुआ करता है। 
इसलिए कहा भी गया है-करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान, ससरी आवत-जात है, सील पर पड़त निसान।
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अनुरोध है कि लेखक के द्वारा वृहद पाकेट नावेल ‘पंचायत’ लिखा जा रहा है, जिसको गूगल क्रोम, प्ले स्टोर के माध्यम से writer.pocketnovel.com पर  ‘‘पंचायत, veerendra kumar dewangan से सर्च कर और पाकेट नावेल के चेप्टरों को प्रतिदिन पढ़कर उपन्यास का आनंद उठाया जा सकता है तथा लाईक, कमेंट व शेयर किया जा सकता है। आपकी प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा रहेगी।


Comments & Reviews

Shveta kaithwas
Shveta kaithwas Behad khubsurat

1 year ago

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