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आखिर क्यों प्रथम पूज्य है गणपति महराज

Saurabh Shukla 01 Oct 2023 आलेख धार्मिक 6549 0 Hindi :: हिंदी

पौराणिक कथा के अनुसार एक बार सभी देवी-देवताओं के बीच इस बात पर विवाद हुआ कि आखिर धरती पर सबसे पहले किस देवता का पूजन होना चाहिए. सभी अपने-आपको एक-दूसरे से श्रेष्ठ बताने लगे. देवताओं के बीच उत्पन्न हुए इस विवाद को देखकर नारद जी ने सभी देवताओं को भगवान शिव की शरण में जाने की सलाह दी.

सभी देवता भगवान शिव के पास पहुंचे और उनको पूरी स्थिति के बारे में बताया. जब भगवान शिव ने देवताओं के इस झगड़े को देखा तो इसे सुलझाने के लिए एक योजना बनाई. उन्होंने इसके लिए एक प्रतियोगिता आयोजित की. प्रतियोगिता के अनुसार सभी देवताओं को अपने-अपने वाहन पर बैठकर पूरे ब्रह्माण्ड का चक्कर लगाने के लिए कहा गया. जो भी देवता ब्रह्माण्ड का चक्कर लगाकर सबसे पहले वापस आएगा उसे ही धरती पर प्रथम पूजनीय देवता का स्थान दिया जाएगा.

भगवान शिव की बात सुनकर सभी देवता अपना-अपना वाहन लेकर ब्रह्माण्ड की परिक्रमा के लिए निकल पड़े. इस प्रतियोगिता में गणेश जी भी शामिल थे और उनकी सवारी चूहा था. चूहे की गति बहुत धीमी होती है और ऐसे में गणेश जी सोच में पड़ गए. इसके बाद उन्होंने ब्रह्माण्ड का चक्कर लगाने की बजाय अपने माता-पिता भगवान शिव और माता पार्वती की सात परिक्रमा की और हाथ जोड़कर उनके समक्ष खड़े हो गए.

जब सभी देवता ब्रह्माण्ड का चक्कर लगाकर वापस लौटे तब वहां गणेश जी पहले से मौजूद थे और भगवान शिव ने गणेश जी को विजयी घोषित कर दिया. जिसे सुनकर सभी देवता अचंभित हो गए कि चूहे की सवारी से पूरे ब्रह्माण्ड का चक्कर इतनी जल्दी कैसे लगाया जा सकता है. तब भगवान शिव ने बताया कि माता-पिता को ब्रह्माण्ड व पूरे लोक में सर्वोच्च स्थान दिया गया है और उन्हें देवताओं के समान पूजा जाता है. गणेश जी ने ब्रह्माण्ड का चक्कर लगाने की बजाय माता-पिता की परिक्रमा की है. भगवान शिव की बात सुनकर सभी देवता उनके निर्णय से सहमत हो गए और तभी से गणेश जी को प्रथम पूजनीय देवता माना गया है.

                                           गणपती पर्व की हार्दिक शुभकामनाए 

                                            सौरभ शुक्ल

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