शासन
शासन शब्द यूनानी भाषा के शब्द
"कुबेरनाओ" से लिया गया है जिसका
मतलब परिचालन । अर्थात्
किसी देश के प्रशासन और कानून व्यवस्था
को जो अधिकार संचालित करते हैं वही शासन
है। या यह कहें की किसी देश में जनहित के
लिए प्रभावी ढंग से अच्छी नीतियां
बनाना और उन्हें प्रशासन के मार्फ़त
लागू करना तथा उस पर यथोचित न्याय
प्रदान करना ही शासन है। परंतु प्रशासन
और शासन में अंतर है। प्रशासन शासन के
आदेशों के द्वारा बनाई गई नीतियों को
लागू कर उस पर न्याय प्रदान करने का काम
करता है। या यह कहें कि शासन और जनता के
बीच की कड़ी प्रशासन है। क्योंकि
इतिहास गवाह हैं प्रशासन ने कई बार शासन
की गलत नीतियों का पुरजोर विरोध किया
है। और शासन ने कई बार प्रशासन को दवाब
में लेकर कार्य किया।
शासन के भी कई प्रकार है परंतु शासन के
तरीके केवल दो ही है - पहला जनहितकारी
शासन अर्थात् सुशासन और दूसरा जो जनता
के हितों एवम् अधिकारों पर अत्याचार
करने वाला अर्थात् कुशासन।
शासन का एक धर्म होता है। और वह धर्म यह
कहता है की शासन सबको एक नजर से देखे और
बिना किसी भेदभाव के रोज़गार, न्याय ,
सुरक्षा, शिक्षा और स्वतंत्रता प्रदान
करे।
शासन सुख भोगने के लिए ना होकर अपितु
सुख प्रदान करने के लिए होना चाहिए।
साहित्य समाज का दर्पण होता है। अगर हम
बात करे आज की शासन व्यवस्था की तो हम
देखते है की आज की शासन व्यवस्था
प्रशासन को अपने हाथों की कठपुतली
बनाकर मन चाहा नाच नचा रही है।
आज हम तुलसी दास जी की तरह यह नहीं कह
सकते कि "कोऊ नृप होय हमें का हानी"।