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मैं किसी रोज़ हार जाता हूँ बैठ कर गीत गुनगुनाता हूँ।। कल मेरे पास उसका फ़ोन आया ये मैं बातें फ़क़त बनाता हूँ।। लोग कहते हैं चुप रहो बेटा read more >>
जिंदा हूँ , तब तक छोड़ूँ मैं अपने कर्म की निशानी तन की भले चली जाए पर मन की जीवित रहे जवानी।। बाहों में इतना तो बल हो अंधे को कंधा मैं read more >>
अभी जाना है कितनी दूर। अभी तो छोड़ेंगे घर द्वार बने फुटपाथों पर परिवार करें संतुष्ट हृदय को हाय दूर से ही रोटियाँ निहार कई सारी हो जाय read more >>
मुन्तशिर होकर जुड़ा हूँ छूट टुकड़े कुछ गए बस उन्हीं के बिन अधूरा ढूँढ़ लाओ दोस्तो।। ये मता'-ए-ग़म न जन्नत में नशीब हो पायगा इसलिए जब भी मिल read more >>
युवाओं की भीड हूँ मैं, पश्चिमी संस्कृति का शोर हूँ मैं प्रदूषण का कहर हूँ मैं, शहर हूँ मैं । भीड़- भाड से भरा हूँ मैं, शुद्धता से मरा हूँ read more >>
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