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वो बचपन के भी क्या दिन थे सब कुछ ठीक था वो दादा की छड़ी से खेलना दादी के चश्मे से खेलना सबकुछ ठीक था वो मम्मी की डांट खाना कितना अच्छा था स read more >>
लहरों से लड़ने वाले हम हर मुश्किलों से बाहर निकलने वाले हम जहां चाह हो वहां राह खोजने वाले हम जज़्बा हैं जुनून है दिल में कुछ अरमान है read more >>
वक्त ,, वक्त हमसे कह रहा था , कल मैं आऊंगा । आज हमसे कह रहा था, कल मैं जाऊंगा । कर ले उपयोग मेरा , और कभी ना मैं आऊंगा । जन्म इतना ही है मे read more >>
अपने आंशु को चुरा लेते हैं, होंठों पर मुस्कान देते हैं, बिन मांगे ही हमें खुशियां देते हैं। read more >>
दिल बड़ा होता है उनका, जो दूसरों के लिए कुछ करते हैं, जो अपनी खुशी की परवाह ना करके दूसरों को खुशी देते हैं। read more >>
# कोरोना काल में मेरी समसामयिक रचना "क्षणिकाएं" (१) पौ फटते ही , लॉकडाउन लगते ही , बंद हो गई भट्टी शराब की । बेवड़ों के लिए read more >>
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