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भूत प्रेत कैसे भगाएं
हमारे मन में हमेशा या प्रश्न चलता है। आप लोगों के मन में कहीं ना कहीं यह सवाल जरूर रहता होगा_ क्या भूत प्रेत होते हैं-- भूत-प्रेत के बारे
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तुम कान्हा की पुजारिन
तुम पुजारिन हो कान्हा की,मैं बजरंग का दास हूँ। तुम बात करती हो प्रेम की, मैं लिए ब्रम्हचर्य साथ हूँ। तुम ऋतुओं में बसंत सी,मैं पतझड़ सा अ
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आ ले चलू तुम्हे खवाबो के शहर मे
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तु चाहे तो मुझे भूल जा
मुझे भुलाना इतना आसान न होगा, तु चाहे तो कोशिश कर ले, तेरे दिल कि हर धड़कन में, मेरी मोजूदगी का अहसास होगा।
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सिसकियों की अवाज़े
में समझ नहीं पा रहा हूँ, यह क्या मजंर है, तू खुश दिखाई दे रही है, लेकिन तेरी सिसकियों की अवाज़े न जाने क्यूं मेरे दिल को सुनाई दे रही है।
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नज़रो से इज़हार ए मोहब्बत
यूँ नज़रो ही नज़रो में इजहार ए मोहब्बत का इकरार करके, वो ऐसे अनजान बनते है जैसे हम कुछ समझते ही नहीं।
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आंसू
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दो जिस्म और एक जान
कितने अनजान से खड़े है आज हम, और एक वक्त वो था कि हम, दो जिस्म और एक जान कहलाते थे।।
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यूँ न देखा कर मुझ को
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बदलते रिश्तें
लोगों को बदलते देखा मेंने, वक्त को बदलते देखा मेंने, मौसम को बदलते देखा मेंने, बहुत कूछ बदलते देखा मेंने, लगा जैसे सब कूछ बदलते देखा है
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वेदना
शब्दों में तुझको उतारा, हुआ प्रेम जब मेरा विह्वल। मालाओं में तुझको पिरोया, तेरी एक निर्णय ने, मेरा सब कुछ छीना। पड़ी गांठ जब दिल पर मे
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हुनर
दर्द सहने की आदत, कुछ इस तरह हो गई। सुबह का दर्द शाम तक, पुरानी हो गई। क्या तोड़ोगे टूट कर, निखरने वालों को। आग की तपिश भी, अब शीतल लगने
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