वह दारूण दर्शय देख- देख कर आंखे नम हो रही है,
मेरे दिल में उनके लिए दया की लहरें उमड रही है,
कल तक थे जो आजाद परिंदे वो आज गुलामी में जकड रह read more >>
वह दारूण दर्शय देख- देख कर आंखे नम हो रही है,
मेरे दिल में उनके लिए दया की लहरें उमड रही है,
कल तक थे जो आजाद परिंदे वो आज गुलामी में जकड रह read more >>
भटक रही थी बूढ़ी महिला
तम तमाती धूप में |
अधमरी सी झुकी खड़ी थी,
कंकाल के रूप में ||
उपल ,कण्डा उठा उठा कर ,
भर रही थी टोकरी. |
चाह जीने की प् read more >>
भटक रही थी बूढ़ी महिला
तम तमाती धूप में |
अधमरी सी झुकी खड़ी थी,
कंकाल के रूप में ||
उपल ,कण्डा उठा उठा कर ,
भर रही थी टोकरी. |
चाह जीने की प् read more >>