विक्रम पांडेय 31 Jul 2023 कविताएँ दुःखद 16324 0 Hindi :: हिंदी
ये बारिश का मौसम भी क्या रंग लाया कहीं खुशियों का मंजर तो कहीं गम का साया, कहीं कोयल की कू कू कहीं सावन की मस्ती, कहीं पानी में डूबी गरीबों की बस्ती,प्रभु ने ये आज दिन कैसा है दिखलाया।ये बारिश का मौसम भी क्या रंग लाया। कहीं हर तरफ देखो फैली हरियाली,कहीं एक हो गए नदी,नाला,नाली।कहीं पड़ रही है रिमझिम फुआरें,कहीं चीख कोई अपनो को पुकारे।समझ में रब ना आए तेरी माया,ये बारिश का मौसम भी क्या रंग लाया। कहीं खुशियों की ये घटा है बिखरे,कहीं गम के हैं छाए बादल घनेरे,कहीं सबके चेहरों पर मुस्कान खिली है,कहीं हर किसी को निराशा मिली है।हर तरफ देखो यह कैसा है मातम छाया,ये बारिश का मौसम भी क्या रंग लाया। कहीं झूम झूम लोग मस्ती में गाते,चलते फिरते सावन के गीत गुनगुनाते,कहीं कोई बच्चा अगर खिलखिलाए,समझो के मां ने हैं आंसू पिलाए। ईश्वर ने भी कैसा ये जुल्म है ढाया,ये बारिश का मौसम भी क्या रंग लाया। कहीं चैन से सोए कोई घरों में,कहीं लाश थामे कोई रोये करों में,कोई परसी थाली को ठोकर से मारे,कहीं भूख से चीखें बेघर बेचारे।रब ने जाने ये कैसा मौसम बनाया,ये बारिश का मौसम भी क्या रंग लाया।