Rohit 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक 22312 0 Hindi :: हिंदी
नफ़रत के बाजार में, मुहब्बत की दुकान खोलो। बेच दो हिंसा को अब, देशभक्ति की बातें बोलो। नफ़रत की राजनीति अब, देश में चली है। बेरोजगार हुए अब युवा देश के, ग़रीबी की मार पड़ी है। नफ़रत की मत बात करो, बस मानवता धारण कर लो तुम। नफ़रत के बाजार में, मुहब्बत की दुकान खोलो तुम। राहों में काटें पड़े हैं, नफ़रत पर नेता अड़े हैं। खदेड़ फेंको नफ़रत को तुम, मुहब्बत की दुकान खोलो तुम। नफ़रत वाले लोग अब, नेता बने हैं देश के। व्यक्तिव इनका मैला है, अनगिनत हैं रूप भेष के। भारत को न मिटने देंगे, नफ़रत को न बढ़ने देंगे। खदेड़ देंगे हिंसा को अब, हम नफ़रत को तोड़ देंगे।