Pratibha Khadekar 18 Mar 2024 कविताएँ बाल-साहित्य Writer Pratibha khadekar 16860 0 Hindi :: हिंदी
काश हम चिडिया होते कोई बंधन न होता, मन चाहता वो करते, कोई रोक टोक न होता, कभी इस डाली, कभी उस डाली, जहा चाहत हो वही मोह फैलाते, कोई चीख चिल्लाने वाला न होता, काश हम चिडिया होते कोई बंधन न होता, मन चाहत को अपनी पंखो से छू लेते, मन जितना चाहता उतनी उडान भर लेते, कोई दाटे खुखारे आऐसा कोई पल न होता, काश हम चिडिया होते , न फोन न आय फोन न क्रेडिट न किसी चीज की आवश्यकता होती, ए खुशहाल जिंदगी आसमान छू रही होती, मन चाहा घोसला बनाते कभी हार ना होती, न कुछ तुटने का डर न खोने का न कुछ पीछे छुटने का, काश हम चिडिया होते,, ,,,,,,,,,,,,,,,प्रतिभा खडेकार 7517947668