बी.पी.शर्मा 30 Mar 2023 कविताएँ देश-प्रेम नारी 88412 0 Hindi :: हिंदी
धन दौल्त कब मांगा उसने हां नारी प्रेम पुजारी थी। क्यों समझें हम अबला उसको वो सदियों से महारानी थी।। हम सत्य शील की बातें समझें अनुसुया भी नारी थी। युग युग में भावों से तोला पर दर्द भरी ये कहानी थी।। जोश जवानी झांसी की तूं भारत की अभिलाषा थी, प्रबल पात कष्टो को सहकर तूं युग–युग की महारानी थी। राम दुल्हारी सीता थी तूं तीन लोक से न्यारी थी। जब–जब भी दुष्टों को मारा तूं शिव की पटरानी थी।। शकुंतला ने भरत जना था वो अमृत जल की धारा थी। करमा मीरां भक्ति रस में वो भाव भरा हिलोरा थी।। जोश जवानी झांसी की तूं भारत की अभिलाषा थी, प्रबल पात कष्टो को सहकर तूं युग–युग की महारानी थी। जोहर की ज्वालाऐं धधकी वो पद्मा की अंगडा़ई थी। इस मिट्टी में जन्म लिया वो कण–कण की स्वाभिमानी थी।। हाड़ी रानी चुडा़वत की हां पन्ना भी फुलवारी थी। अविरल निश्छल बहती धारा तूं नारी की परिभाषा थी।। जोश जवानी झांसी की तूं भारत की अभिलाषा थी, प्रबल पात कष्टों को सहकर तूं युग–युग की महारानी थी। ममता से तूं गागर भरती संस्कारो की खानी थी। मात यशोदा माखन मिश्री तूं कृष्ण सी मतवाली थी।। नारी है जीवन की आला पल–पल भाग्य विधाता थी। धर्म कर्म सब तुम से चलता तूं राहों को संगीत सुनाती थी।। जोश जवानी झांसी की तूं भारत की अभिलाषा थी, प्रबल पात कष्टों को सहकर तूं युग युग की महारानी थी। स्वरचित, बद्रीप्रसाद शर्मा , नोखा (बीकानेर) राजस्थान।