Sudha Chaudhary 05 Dec 2023 कविताएँ अन्य 12545 0 Hindi :: हिंदी
मैं क्या कह दूं जो तुम सुन लो मैं क्या सुन लूं जो तुम कह दो हंसते-हंसते अनुरागों में मत पीर बस इन बातों में मैं अधरों से पुलकित कर दूं जो तुम कह दो। आना तो एक बहाना है मिलकर तुमको ही जाना है सोए हैं भाव यहां कब से मैं खुल जाऊं जो तुम कह दो। नीरवता पास खड़ी मेरे संदेशों से न मिटी तेरे घुल जाने दो मिल जाने दो आशाओं से जो तुम कह दो। पूछो मत नीरद माला से गिर जाएंगे बिन हाला के चितवन से चैन नहीं बस लिख दूं मिलने की तिथि जो तुम कह दो। सुधा चौधरी