Rambriksh Bahadurpuri 22 Jul 2023 कविताएँ समाजिक #Rambriksh Bahadurpuri #Rambriksh Bahadurpuri kavita #Rambriksh Bahadurpuri Ambedkar Nagar #Ambedkarnagar poetry #Ambedkar Nagar kavi#Kavi per kavita 9210 0 Hindi :: हिंदी
हे! कवि हे कवि! कविता कुछ खास लिखो अंतर्मन का विश्वास लिखो रुक रुक कर कलम चलाओ ना खुल कर अपनी हर बात लिखो तुम कवि तुमको अधिकार मिला कलमों जैसा हथियार मिला धिक्कार है तेरी कलमों को यदि सच का ना इतिहास लिखा। श्रृंगार वीरता लिखते हो लिख व्यंग्य जोर से हंसते हो अब कौन लिखेगा करुणा पर क्यों देख देख चुप रहते हो। लिख करोगे क्या कविता सारी जब जख्म सहे हर दिन नारी क्या दिखता नहीं न लिखते हो क्यों बने हुए, कवि दरबारी। उठ जगो जगाओ जगती को मानव मानवता नियती को लिख लिख कलमों से लिख जाओ हे कवि! कविता के पंक्ती को। उठ कलमों से संहार करो कवि हो कवि का व्यवहार करो या बंद करो लिखना कविता पर सच को न शर्मशार करो है धधक रही है आग यहां तुम कलम लिए हो छिपे कहां आजादी तुम्हीं दिलायी थी फिर पड़ी जरूरत आज यहां शासन का डर या नेता का या अपने किसी चहेता का ना कवि कवित्व बदनाम करो लालच में किसी विजेता का। छोड़ो कल परसों की बातें अब आज की बातें आज लिखो हे कवि! कविता कुछ खास लिखो अंतर्मन का विश्वास लिखो। रचनाकार रामबृक्ष बहादुरपुरी अम्बेडकरनगर उत्तर प्रदेश
I am Rambriksh Bahadurpuri,from Ambedkar Nagar UP I am a teacher I like to write poem and I wrote ma...