Ashok Kumar Yadav 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक 34725 0 Hindi :: हिंदी
कविता- एक धनुष-एक बाण जीवन युद्ध में लड़ अकेला, लेकर हथेली में अपना प्राण। एक मौका मिलेगा जीत का, पास है एक धनुष-एक बाण।। देर ना कर अब जाग जा वीर, निरंतर करता चल तू अभ्यास। मन को एकाग्र कर ध्यान लगा, रखना सीख खुद पर विश्वास।। तम गुफा में बंदी बनकर बैठा, घिर गया आतताईयों के बीच। मुझे दे रहे थे बिजली के झटके, रुकने का नाम नहीं लेते नीच।। कहा-क्यों नहीं पढ़ता ज्ञान ग्रंथ? समय को बर्बाद करता है व्यर्थ। झूठी शान और शौकत है तेरी, तुम्हारे जीवन का नहीं है अर्थ।। छोड़ दिए मुझे बोध बाण देकर, धनुष पोथी से करो लक्ष्य भेदन। मैं कर्म करूंगा अब तन्मयता से, जीत होगी आनंद का आस्वादन।। कवि- अशोक कुमार यादव मुंगेली, छत्तीसगढ़, राष्ट्रीय कवि संगम इकाई के जिलाध्यक्ष।