Vipin Bansal 29 Nov 2023 कविताएँ देश-प्रेम 21620 0 Hindi :: हिंदी
कविता = ( भारत ) भारत को गर भारत पुकारा तो क्या ! वर्षों की चढ़ी गर्द को उतारा तो क्या !! यह भरत का भारत यह देवों की देव भूमि ! जय श्री राम का गूंजा जयकारा तो क्या !! सत्य सनातन धर्म संस्कृति रही पहचान हमारी ! भारत बने हिन्दू राष्ट्र हमारा तो क्या !! सत्य सनातन वैदिक धर्म न आदि न कोई अंत ! फैला इसका उजियारा सर्वश्रेष्ठ गर धर्म हमारा तो क्या !! वसुधैव कुटुंबकम यह जग सारा यही सिद्धांत रहा हमारा ! विश्व गुरु हो गर देश हमारा तो क्या !! भारत को गर भारत पुकारा तो क्या ! वर्षों की चढ़ी गर्द को उतारा तो क्या !! ब्रिटिश हुकूमत को जब घर से निकाला ! ब्रिटिश कल्चर फिर क्यों घर में पाला !! अंग्रेजी कैसे ख़ास हुई, हिंदी क्यों अभिशाप हुई ! वेद पुराणों से दूर किया, सनातन पर जुल्म किया !! अंग्रेजी कल्चर के इतने हितैषी, हिंदी की क्यों अनदेखी ! विद्यालयों में हो अब भगवद्गीता !! बहे ज्ञान की फिर से सरिता ! राष्ट्रभाषा बने अब हिंदी !! माँ भारती के माथे की बिंदी ! हम हिन्द हम हिन्दू हिंदी का नारा तो क्या !! भारत को गर भारत पुकारा तो क्या ! वर्षों की चढ़ी गर्द को उतारा तो क्या !! मुगलों का इतिहास पढ़ाया ! डाकुओं को खुदा बताया !! मंदिरों को मस्जिदों में ढ़ाला ! माँ भारती का सौंदर्य बिगाड़ा !! हिन्दू शहरों के नाम है बदले ! हिन्दूओं को वो क्यों न अखरे !! हवाओं का रूख़ गर हमने मोड़ा तो क्या ! बाबरी मस्जिद पर गर चला हथौड़ा तो क्या !! शहंशाही गर नक़ाब उतारा तो क्या ! बाबर को गर डाकू पुकारा तो क्या !! भारत को गर भारत पुकारा तो क्या ! वर्षों की चढ़ी गर्द को उतारा तो क्या !! विपिन बंसल