Chetna 30 Mar 2023 कविताएँ देश-प्रेम 44471 0 Hindi :: हिंदी
गूंजी थी सन् सत्तावन में जो फिर वह आवाज जगानी है भारत की नारी कमजोर नहीं दुर्गा है ,मर्दानी है चूड़ी हों कंगन हों चाहे हाथों में हो मेहंदी इन हाथों से ही फिर तलवार उठानी है भारत की नारी कमजोर नहीं दुर्गा है ,मर्दानी है सावित्री बन प्राण पति के बचा रही हैवानों के हाथों अस्मत अपनी बचा रही अब अस्मत बच्चियों की बचानी है भारत की नारी कमजोर नहीं दुर्गा है मर्दानी है बेटियों को आज लाठी, तलवार सिखानी है परियों ,गुड्डे गुड़ियों कि नहीं कहानी वीरांगनाओं की सुनानी है भारत की नारी कमजोर नहीं दुर्गा है मर्दानी है।