Rakhi sharan 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक अगर हाथों में आई तेरी नाकामी 32499 0 Hindi :: हिंदी
अगर हाथों में आई तेरी नाकामी तो यह मत समझ तू काबिल नहीं, ये तेरे सब्र की इम्तहान है समझ मंजिल पाना है तुझे प्रयत्न की सीढ़ियां चढ़ते जा आज कांटे ही सही कल फूलों से भरी मुस्कुराती मंजिल तेरे हाथों में होगी।