Poonam Mishra 02 Jul 2023 ग़ज़ल समाजिक उम्र गुजर गई 6729 0 Hindi :: हिंदी
समय गुजरता ही गया हम कहां से कहां आ गए! न जाने कब बचपन बीता, जवानी गुजरी ,इन हाथों से उम्र के कई वर्ष गुजरे! पता ही न चला, हम कहां से कहां आ गए! पता नहीं क्यों? जिंदगी में ना कोई फिराक काम आई ना ही कोई खुराक काम आई मैंने बहुत से जतन किए उम्र को पकड़ने के पर यह मुझे पीछे छोड़कर! आगे निकल आई! बहुत तैयारी की थी उम्र के इस मोड़ पर मैं यह करूंगी! मैं वह करूंगी ! मेरी कोई तैयारी आज ना मुझे काम आई! न कोई रिश्ते काम आए !!साथ में रहने वाले लोग ना मेरे काम आए मैं अकेली ही चलती रही जीवन के इस सफर में न जाने कब उम्र मुझसे होकर गुजर गई मैं उसे देखती ही रह गई खुशियां मुझे छू कर चली गई मैं खुशियों को तलाशती ही रह गई उम्र के इस मोड़ पर न जाने में वह सब पीछे मुड़कर क्यों देखती हूं जो मुझे भूल कर कहीं इधर उधर निकल गए हैं