Jyoti yadav 13 Feb 2024 ग़ज़ल समाजिक तलाश ए ज़िन्दगी 7836 0 Hindi :: हिंदी
सोचती हू फलक मिलेगा पर हर रोज ढाती है कहर जिन्दगी भेजती हू दुआ आसमानों मे हर दफा होती गई बेअसर जिन्दगी मै बांटती रही अमृत मुझे मिलता गया हर रोज जहर जिन्दगी मै खामखा समझती रही सुकून पर मिला गम ए दर्द आठो पहर जिंदगी तलाश थी रौशनी की पर निकली अधियारो की शहर जिन्दगी काटो को पुष्प समझ कर रही हू गुजर बसर जिन्दगी सांसो मे सांस है हौसलो मे उड़ान इक दिन होगी खुशियो की लहर जिन्दगी ज्योति यादव के कलम से कोटिसा विकरमपुर सैदपुर गाजीपुर उत्तर प्रदेश