SHAHWAJ KHAN 30 Mar 2023 शायरी देश-प्रेम अभी दरिया है , इंक़लाब, देश प्रेम , शायरी, 89178 0 Hindi :: हिंदी
अभी दरिया है। अभी दरिया है सैलाबे समुन्दर तो होने दो फलक के साये मे सो रहे है बो उन्हे सोने दो ये खाके वतन की औलादे हैं इनकी आवाज नही दबती तख्ता पलट देगें ये जरा इंकलाब तो होने दो क्या समझते हो तुम की ये कमज़ोर हैं अभी तो आगाज है ईशान,जरा अंजाम तो होने दो