Maushami 09 Jun 2023 कविताएँ समाजिक ज़िंदगी # मौत 6221 0 Hindi :: हिंदी
ज़िंदगी और मौत के बीच सांसों की एक लकीर है, जन्म से यह लकीर बनती है और मौत पर आ मिटती है, सब कुछ इसके दो छोरों के बीच का खेल है, कभी बचपन, कभी जवानी , कभी बुढ़ापे की जेल है, सभी का सफ़र ऐसे ही शुरु होता, और खत्म भी ऐसे होता, ना कुछ साथ आया था न कुछ साथ जाता।