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में सबकी प्रिय हूँ मधुशाला ।

Bholenath sharma 05 Apr 2024 कविताएँ समाजिक में सबकी प्रिय हूँ मधुशाला 3637 0 Hindi :: हिंदी

वे डूबे है तुझमें , तुम हो उनकी प्रिय हाला तेरे लिए बिछुडगें अपनो से , पर तुझसें न बिछुड़गें  मधुशाला ।                            
                                                                    जो कह रहा कहने दो जग को ,                   कोई फर्क नहीं हैं मुझको ।                        तूने ही दिया था गम मुझको ,                         ये गम ही मिटाती है हाला ।                              
                                                     तुम तो सबके दुख दर्द मिटाती हो प्रिय                 फिर क्यों  जग तुमको ,करता बदनाम प्रिय                                       गली गली में रहते है ,मेरे दीवानें                       में सबकी प्रिय हूँ मधुशाला ।

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