Shreyansh kumar jain 04 Apr 2024 कविताएँ समाजिक 1000000000000000000000000000000000 3045 0 Hindi :: हिंदी
अपने हक का यह त्यौहार आया है, चारों ओर प्रचार-प्रसार का कोलाहूल छाया है, देश में विकास करने का हक तुमने भी पाया है, तुमने अपने मत से देश की तकदीर लिखने का सौभाग्य पाया है। इस पर्व की मर्यादा को तुम कमजोर मत होने देना, अपने इस मत को तुम बेकार नही जाने देना, बड चढकर हिस्सा लेना तुम मतदान के इस त्यौहार मे, यह हक पाया है तुमने हमारे प्यारे से संविधान में ।। इस त्यौहार की महिमा को तुम ना फीका पडने देना, अपने हक का मतदान तुम जरूर करने जाना, अपनी विचारधारा का तुम हमेशा सम्मान करना, अपने मत का तुम ना किसी से बखान करना ।। अपने वोट को पैसो में बेचकर अपने सपनो का मत अपमान करो, सौदा करके तुम वोट का इस संविधान का ना अपमान करो, अगर किया सौदा तुमने अपने वोट का तो देश गलत दिशा में चला जाऐगा, सोच-समझकर मतदान करना क्योंकि इससे ही देश का तकदीर लिखा जाऐगा ।।