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कविता- हरवक्त सब वक्त की नजर में है भूल जाते हैं ये सभी सफर में है

Karan Singh 31 Dec 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत कविता-*बेवजह इल्जाम क्यों* 👌प्रस्तुतकर्ता-सपनों का सौदागर...करण सिंह👌/प्यार में इलाजाम क्यों/बहक/भक्ति/रविदास/सूरदासजी/स्टील का डब्बा/ 3433 0 Hindi :: हिंदी

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कविता-*बेवजह इल्जाम क्यों*
👌प्रस्तुतकर्ता-सपनों का सौदागर...करण सिंह👌
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हरवक्त सब वक्त की नजर में है
भूल जाते हैं ये,सभी सफर में है 

छांव में सुस्ता के धूप में भी चलें
रस्ते में है सभी,न कोई घर में हैंं 

दिलों में बना सकें जगह,बेहतर
पहचान कोई न मालो ज़र में है 

अभी तक सीख ना पाया कोई
जिंदगी ग़ज़ल  किस बहर में है 

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कविता-*बेवजह इल्जाम क्यों*
👌प्रस्तुतकर्ता-सपनों का सौदागर...करण सिंह👌
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हैरां है तकदीर भी देखकर हमें
क्या असर नहीं तेज,जहर में है 

बेकार चंद टुकड़े,दिल के अपने
शायद कहीं पड़े,उस शहर में है 

बेवजह सूरज पर इल्जाम क्यों
वो अभी रतजगे के असर में है

मुझपे लगे बेशुमार इल्जाम क्यों
कुछ तो बेरूखुयाँ तुममें भी हैं

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कविता-*बेवजह इल्जाम क्यों*
👌प्रस्तुतकर्ता-सपनों का सौदागर...करण सिंह👌
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मैं बदनाम जमाने भर अकेला क्यों
तुमने भी प्यार को किया शर्मिंदा है

ये दूरियां अब बढ़ रही ओर क्यों
लौट आओ प्यार अब शर्मिंदा है

मैं भी अकेला तुम भी अकेले क्यों
लौट आओ जाना इंतजार अब भी है

पागल है इंतजार में तेरा 'करण' क्यों
क्या तेरा पत्थर दिल धड़कता नही है


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कविता-*बेवजह इल्जाम क्यों*
👌प्रस्तुतकर्ता-सपनों का सौदागर...करण सिंह👌
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