Amit Kumar Ranjan 03 Aug 2024 कविताएँ समाजिक 18069 0 Hindi :: हिंदी
🌹 गोदी मीडिया 🌹 ------------------------------------------- हिंदू मुस्लिम मिलजुल रहते, |यह नहीं दिखलाते हो तुम जाति धर्म की आड़ में, दिन रात आग लगाते हो|| दर्द गरीबों का आज, नजर न तुमको आता है | चीखें,आह निकल रही है, पता ना तुम्हारा किससे नाता है || हीरो बने तुम निकले थे, गुमनामी में कही खो गए तुम | पूरा देश गर्त में जा रहा, पता ना तुम किसके हो गए|| महंगाई,गरीबी,बेरोजगारी, तुम्हारे चैनल से दूर हो गया | अब तो एक इंसान बनो, जमीर तुम्हारा किधर सो गया || इतना मत झूठ बोल अब, कि सच भी शर्मान लगे सच्चे,निडर,पत्रकार की बात छोड़ो, तुम गोदी मीडिया कहलाने लगे अब ||