Rajendra Prasad Gupta 08 Jun 2023 आलेख दुःखद #लेखक#न्याय #नजरिया #मुआवजा #दुखद #अन्याय 6536 0 Hindi :: हिंदी
वास्तव में, लेखकों के साथ न्याय के अभाव का मुद्दा साहित्य लाइव वेबसाइट नयापन कर रहा है। इसके पीछे यह कारण है कि लेखक अपनी कहानियों और ग़ज़लों को लिखने में कितनी मेहनत करते हैं, लेकिन उन्हें उनका मेहनत का पुरस्कार नहीं मिलता है। मैने भी 22 लेख लिखे हैं, और उनका मात्र ₹22 का ही मुनाफा साहित्य लाइव से मिला है। यह वास्तव में न्यायविधान के खिलाफ है। इसके अलावा, वेबसाइट विज्ञापनों के माध्यम से अधिक मुनाफा कमा रही है, लेकिन लेखकों के बारे में सोचने की कोई चिंता नहीं कर रही है। ऐसा व्यवहार सही नहीं है और साहित्य लाइव को इसे संशोधित करना चाहिए। लेखकों को उनके मेहनत का मुनाफा मिलना चाहिए ताकि वे अपना कार्य और साहित्यिक योग्यता विकसित कर सकें। वेबसाइट को लेखकों के प्रति सम्मान देना चाहिए और उन्हें उचित प्रतिष्ठा देनी चाहिए। इसके लिए, साहित्य लाइव को लेखकों के साथ उचित वेतन या मुद्रा मुहैया कराने के लिए कठोर कार्रवाई करनी चाहिए। लेखकों का योगदान साहित्यिक समाज के विकास और आप्रेम बढ़ाने में महत्वपूर्ण होता है। उनके सामर्थ्य को मान्यता देना चाहिए और उन्हें उचित मूल्यांकन प्रदान करना चाहिए। साहित्य लाइव और उनकी तरह के प्लेटफ़ॉर्म लेखकों के साथ न्यायपूर्ण और समय-समय पर भुगतान करने के लिए प्रतिबद्ध होने चाहिए। साहित्य लाइव को एक उदार, संवेदनशील और न्यायपूर्ण दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है ताकि लेखकों को आत्मविश्वास मिले और वे अधिक से अधिक उत्कृष्ट साहित्यिक कार्य कर सकें। साहित्य लाइव को लेखकों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए, उनकी मेहनत का पुरस्कार देना चाहिए और उनकी उन्नति के लिए सहायता करनी चाहिए। इसके परिणामस्वरूप, वह साहित्य समाज को और अधिक संवेदनशील, रचनात्मक और सजीव बनाने में सक्षम होगी।
I take pride in writing articles on all the problems related to the society....