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चरित्र

Santosh kumar koli 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक चरित्र 13909 0 Hindi :: हिंदी

मनुष्य कई गुणों की खान।
मानव के जीवन में, चरित्र मूल्यवान्।
धन लुटा, कुछ नहीं लुटा, समय लुटा, तो लुटा कुछ।
चरित्र लुटा, सब कुछ लुटा, मनुष्य बन गया तुच्छ।
धन कमाया जा सके, समय उपयोग हो सके कुछ।
चरित्र कमाया न जा सके, जीवन में, बने रहो तुच्छ।
चरित्र चूक सबसे बुरी, कह गए विद्वान।
मानव के जीवन में, चरित्र मूल्यवान्।
सबसे बुरी चीज़, चरित्र कलंक की रेख।
भरपाई ना हो सके, लाख कर्म करो नेक।
चरित्र सबसे महान् गुण, नहीं मीन व मेख।
बिना पूंछ का बैल आए याद, चरित्रहीन को देख।
इसे साफ़ करने का जल, नहीं भव में विद्यमान्।
मानव के जीवन में, चरित्र मूल्यवान्।
सद्चरित्र का व्यक्ति ही, करे देश का विकास।
चरित्रवान् व्यक्ति ही, देश की पूंजी है ख़ास।
दुआ करो ईश्वर से, दुष्चरित्रता का हो नाश।
चरित्रहीन, व्यक्ति है, धरा पर ज़िंदा लाश।
नव निर्माण में, अमूल्य निधि चरित्रवान्।
मानव के जीवन में, चरित्र मूल्यवान्।
मनुष्य कई गुणों की खान।
मानव के जीवन में, चरित्र मूल्यवान्।

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